परिवेश बदल रहे हैं परिस्थितियां बदल रही है संसाधन अधिक हो रहे हैं समाधान का फिर भी अभाव है। कारण है...! वेद.. आयुर्वेद.. योग... ज्योतिष.. शास्त्र ...नीति ...संस्कृति... से विमुख होना । चाहत की अभिलाषा जीव की जरूरत है परंतु एकीकृत भाव से कार्य को करना संकल्प है, संयम है, उद्देश्य है परंतु ऐसा व्यवहार में बहुत कम होता है इसका कारण यह नहीं है कि चाहते नहीं है बल्कि जिम्मेदारियां इतनी जादे हैं कि इस संकल्प शक्ति पर लगे रहना टिके रहना निरंतर कार्य करते रहना दुष्कर हो जाता है। जीवन को सुखी , स्वास्थ्य को कायम रखने के लिए विषय शास्त्रों में बखूबी ढंग से वर्णित है वस विद्वानो आचार्यों को, लोगों के जरूरत को पूरा करने के लिए लेखनी लिपि द्वारा, आपके नजरिए का, परेशानी का ,दुख के कारण का और उनका समाधान देना ही एक मानवता हैं सेवा है।
चूंकि विषय अत्यंत गंभीर होते हैं व्यवहार तक लाने के लिए लंबा समय ,चिंतन, जनहित दृष्टिकोण और विषयों को जरूरतों को समझना और जन लाभ हेतु लाना एक लंबी प्रक्रिया है संपादक का ऐसा प्रयास है पाठकों को,उनके इंटरेस्ट के अनुसार विद्वानों आचार्यों के शास्त्र अनुभव को स्क्रिप्ट द्वारा ज्ञान और समाधान देकर सबको स्वस्थ और सुखी बनाना है।
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